उड़ो उड़ो आज़ादी से
उड़ो उड़ो आज़ादी से
उड़ो उड़ो आज़ादी से,
इस मस्त गगन के आँचल में।
करो सदा ऊँचा नाम,
इस माँ के सामान धरातल में।
उड़ो उड़ो रुक गए पथिक क्यों,
अभी तो मंजिल आगे है।
देखो कितने भाई तुम्हारे,
उस क्षितिज के पीछे भागे हैं।
बाधाओं से घबराओ मत,
डट कर इसका सामना करो।
जीवन तो बाधा की मूरत है,
इस बाधा में तुम सना करो।
अकेले बढ़ने में डरते क्यों हो,
सूनापन तो वरदान है।
तन्हाई में वो लक्ष्य चुनो,
जो दूसरों से अनजान है।
उड़ो उड़ो हर माँ के बेटे,
लक्ष्य अभी तो पाना है।
पथ पर आगे बढ़ते जाओ,
मंजिल को पास बुलाना है।।