अधूरा ज्ञान
अधूरा ज्ञान
एक गांव में एक गरीब मजदूर रहता था। वह मुश्किल से अपने परिवार का जीवन यापन करता था। एक दिन वह अपने इस जीवन से बहुत दुखी हो गया और आत्महत्या के उद्देश्य से घर में बिना बताए जंगल की ओर निकल पड़ा। रास्ते में उन्हें एक ऋषि मिला। ऋषि ने उसे उदास और दुखी देखकर उसे पूछा कि आप कहा जा रहे हो? उसने बोला - मै मरने जा रहा हूं।
ऋषि के पूछने पर उसने अपनी गरीबी का पूरा वृत्तांत बता दिया। ऋषि ने उसे बहुत समझाया कि ऊपर वाले ने जो भी दिया है उसी पर संतुष्ट रहना चाहिए।लेकिन वह नहीं माना ।तब ऋषि ने उसे अपने तपोबल से सोना उगलने वाली एक मशीन दी । उस मजदूर के खुशी का ठिकाना न रहा, यह उस लेकर तुरंत भागने लगा, ऋषि ने उसे रोका और बोला कि इसे शुरू करने का मंत्र तो जन को।वह मजदूर मुश्किल से मंत्र के बताते तक रुका, इससे पहले कि ऋषि उसे उस बंद करने का मंत्र बताता वह तेजी से भाग गया।
घर जाकर वह एक कमरे में घुस गया और अन्दर से ताला बंद कर दिया ताकि कोई देख न पाए। दरवाजा के पास उसने मशीन रख दी और खुद मशीन के सामने खड़ा हो गया । जैसी ही उन्होंने उस मशीन को शुरू करने का मंत्र पढ़ा। मशीन से तेज गति से सोना निकालना शुरू हो गया।
मजदूर के खुशी का ठिकाना न रहा। पूरे कमरे में सोना भरने लगा। दरवाजे तरफ जिधर मशीन को रखा था उधर पूरा सोने से भर गया । अब दरवाजे तरफ जाने का रास्ता पूरा बंद हो गया।अब वह मजदूर सोचने लगा कि इसे बंद कैसे किया जाए क्योंकि उन्होंने उस ऋषि से बंद करने का मंत्र जाने बिना ही भाग गया था। कुछ समय पश्चात सोना निकलते गया और वह मजदूर सोने में दबकर मर गया। यदि वह पूरा ज्ञान लिया होता तो शायद उनकी ऐसी स्थिति नहीं होती। इसलिए कहा गया है - अधूरा ज्ञान नुकसानदायक होता है।