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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

"कमी नही गद्दारों की"

"कमी नही गद्दारों की"

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कोई कमी नही है,हिंद देश मे गद्दारों की

एक ढूंढो सौ नस्ल मिलेगी गद्दारों की

वंदेमातरम के नारे पर रोक लगाते है,

अपनी भारत मां का दूध वो लजाते है,

कमी नही देश मे जयचंद जैसे गद्दारों की

जिस हिन्द देश का नमक वो खाते है

उसी हिन्द देश का वो लहू बहाते है

कमी नही है,हिंद मे गीदड़,सियारों की

स्वार्थ खातिर वो नाम लेते है खुदा का,

काम करते है,फिर वो यहां शैतान का,

कमी नही पीठ में खंजर घोपनेवालों की

अशफ़ाक से सीखो,बिस्मिल से सीखो,

जिनकी वतनपरस्ती थी सितारों की

माना कमी नही है,हिन्द में गद्दारों की

पर कमी न भगत,सुख,राज बहारो की

जाति,धर्म नाम पर आपस मे लड़ाते है,

कमी नही है,ऐसे आस्तीन के साँपों की

आस्तीन साँपों को दूध पिलाने बंद करे,

कोई कमी न रहेगी,जन्नत सी बहारो की

जैसे धारा 370 हटी,पत्थरबाजी घटी

वैसे ही काटे गर्दन सब यहां गद्दारों की

मिटेगी गंदगी,वर्षों की पड़ी गद्दारों की

बस याद करो तुम प्रताप का वचन,

तोडों दो जंजीर मानसिक विचारों की

कमी नही यहां प्रताप जैसे भालो की

हकीम जैसे देशभक्त आज भी जिंदा है

जिसने निभाई वफादारी सितारों की

कमी नही हकीम खां जैसे चमत्कारों की

आज भी मातृभूमि के लिये मर मिटते है,

कमी नही शिवाजी जैसी तलवारों की 

आओ मिलकर हिन्द गद्दार मुक्त करे,

ताकि हिन्द बने धरा चाँद-सितारों की।


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