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Gaurav Gaur

Classics

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Gaurav Gaur

Classics

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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चारागर ऐसी कुछ दवाई दे,

उसकी खामोशी भी सुनाई दे।


हुनर आँखों को ऐसा दे मौला,

वो जहां है नहीं दिखाई दे।


हाथ रक्खे वो मेरी आँखों पर,

मुझको भी रोशनी दिखाई दे।


इस कदर लगना है गले तुमसे,

साँस कहने लगे रिहाई दे।


मेरे घरवालों को खबर करना,

कोई गर डूबता दिखाई दे।


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