वो गलियाँ
वो गलियाँ
आज भी दिल में बसी वो गलियाँ कहीं,
उन बीते हुए दिनों की जो याद दिलाते हैं,
हँसी ठहाके लड़ना झगड़ना याद दिलाते हैं
रह -रहकर अनमोल बीते सुनहरे पलों की,
वो चहचहाती और महकती गलियाँ जहाँ ,
न फिक्र थी हमें किसी भी जिम्मेदारी की ,
जहाँ हवा के मस्त झकोरें शोर मचाते रहते,
स्मृतियाँ छन-छन आती गुजरे हुए पलों की,
जहाँ अनकही अनबुझी ख्वाहिशों का संसार ,
जो आज भी खबर रखता उन ख्वाहिशों की,
वो गलियाँ जहाँ था हजारों शब्दों का शोर,
याद है वो हर शब्द हमें पुरानी दास्तान की,
प्यार भरी मुलाकातें जहाँ दुनिया भूल जाते,
याद हैं वो प्यारी बातें सभी मुलाकातों की,
पतझड़ सावन जाने कितने मौसम देख लिए,
बरसती थी जहाँ प्यारी प्यारी यादें खुशियों की,
तेज हो गई रफ्तार वक्त ने रंग बदल लिया,
आज लग रही वीरान वो गलियाँ जीवन की,
समय की सुईयां आज कितनी बदल गई हैं,
न थमता था वो पल वो वक्त के रफ्तार की,
समय की धारा संग बहुत कुछ बदल गया है,
पर आज भी दिल में यादें बसी है उन पलों कीI