न हो कोई बंदिश, न कोई शिकन दुनिया की बाँहें मरोड़ के मिलना। न हो कोई बंदिश, न कोई शिकन दुनिया की बाँहें मरोड़ के मिलना।
जिसे भूल चले थे ज़माने से, हमेशा के लिए उसके सो जाने से यह एहसास हुआ कि क्या सो गया है सालो... जिसे भूल चले थे ज़माने से, हमेशा के लिए उसके सो जाने से यह एहसास हुआ कि ...
अधुरे से इन सपनों की अब ये ही दास्तां है तुम्हारी इन यादों में ही अपना घर बसाना है ! अधुरे से इन सपनों की अब ये ही दास्तां है तुम्हारी इन यादों में ही अपना घर बसा...
वो जो ख़्वाबों में भी नफरत को बस आबाद किये, आज घर से मेरे जनाजे को उठाने की ख्वाहिशें वो जो ख़्वाबों में भी नफरत को बस आबाद किये, आज घर से मेरे जनाजे को उठाने...
हरे घास थे जहाँ वहाँ बस काई उग आई है। हरे घास थे जहाँ वहाँ बस काई उग आई है।
मखमली गलीचे पर, सरसों है लेटी मखमली गलीचे पर, सरसों है लेटी