आज जब खो गया एक दोस्त
आज जब खो गया एक दोस्त


आज जब फ़ोन आया
और खबर आई कि
छूट गया वो दोस्त,
वो दोस्त जिसके संग बीता बचपन।
कितना बेखौफ था वो लड़कपन,
आज इस भीड़ मे भागते- भागते,
या यूँ कहों कि ज़माने के साथ
कदम से कदम मिलाते,
छूट गए कुछ कदम।
आज जब खो गया एक दोस्त
तो सब खोये हुए दोस्तों को
हमारी याद आई
बचपन की वो गलियाँ,
वो कहानियाँ याद आई।
फेसबुक और व्हाटसएप से
वे खोजे गए जिन्हें कब का भुलाकर
ज़िन्दगी हमें यहाँ बहा लाई।
जिसे भूल चले थे ज़माने से,
हमेशा के लिए उसके सो जाने से
यह एहसास हुआ कि
क्या सो गया है सालों से
स्वयं के भीतर ?
सो गया है मेरे अन्दर का बचपन
सो गयी है अपनों से मिलने की चाह
सो गया है अपनों का साथ देने का जज्बा
सो गयी है यारों संग बतियाने की ललक
आज जब खो गया एक दोस्त।