नदी की चेतावनी
नदी की चेतावनी
लहरों पर आरूढ़ हुई मैं, आगे बढ़ती जाती
लहर लहर में लहराती मैं, इठलाती बलखाती
निर्मल शीतल - धाराओं में, नर्तन करती जाती
लघु-विशाल धाराओं में नित,पल पल मैं इतराती।
जीवन दात्री बनकर मैं तो , जल दे कर मुस्काती
सींच सींच कर वृक्षों को मैं, वसुंधरा सरसाती
बसा तटों पर हरित सभ्यता,नव इतिहास रचाती
अविरल बहकर साहस की नित, शिक्षा मैं दे जाती।
होकर विजयी बाधाओं पर, गीत खुशी के गाती
परहित-पाठ पढ़ा कर सबको, खुशियाँ मैं छलकाती
मानव मुझको भी छलता है,मुझको दूषित करता
बहा बहाकर कूड़ा- कचड़ा, स्वच्छ रूप को हरता।
रेत माफ़िया नोच रहा है, मेरे वक्षस्थल को
मानव बहा रहा है मुझमें, केमिकल और मल को
भ्रष्टाचार करे मानव नित, कुटिल चाल है चलता
इस स्वच्छता - अभियान में भी, मानव मुझको छलता।
हे मानव मुझे तू जान ले, सहूँ ना अत्याचार
जल में विष दूँगी तुझको मैं, मिलेंगे रोग अपार
क्रुद्ध हुई अत्याचारों से, बनूँगी मैं विकराल
प्रलयंकारी रूप धरूँगी, बनूँगी तेरा काल।
