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हम तुम और पैसा

हम तुम और पैसा

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हम तुम्हें चाहते हैं

यह खुद हमारे लिए एक सवाल है

इस सवाल का जवाब क्या

ना खुद हमें ना किसी और को मालूम है।


फिर भी तुम आती हो

सोच में हर पल- जैसे हो एक सुंदर हसीना

हर लम्हा तुम तुम हो

ज़िंदगी ना काटती है शायद तुम्हारे बिना।


तुम हो तो सब है

महसूस होता है कि हे सब अपना मुट्ठी में

पाशा पलट भी सकताहै

बेशक-बेधड़क बस तुम हो जब अपना धुन में।


तुम क्या हो ?

हमारे लिए, पर हो तो बिल्कुल जिंदादिल

जितना भी उलझताहूँ

और उलझती हो जैसे हो एक अनबुझी पहेली।


तुम हो तो हसीन

अंदाज़ तुम्हारा बस यूं कर ता है पागल

जब कहीं चले जाती हो

ढूंढ ते हैं दिबनो कि तरह दिल होता है घायल।


तुम्हारा नशा चढ़ता है

तो उमंग भी दौड़ते हैं हर किशिका चाहत में

बस एक ही है ख्वाइस

करना है ये सारी की सारी दुनिया अपनी जेब में।


हुम् और तुम

तुम और हम, बंधे हुए हदीन इस तरहा

जिसे प्रेम कहूँ या

चाहत- सोचो कैसे उर क्या नाम दूं तेरा।


तुम ही तो सुबह

हो या शाम-फूल खिलती है गुलशन,गुलशन

तेरे छनकती बोल

में मचल मचल रहता है हर किसी का मन।


यह इश्क़ है या

पैमान-लेकिन है जरूर एक वास्ता

"पैसा"-तू सबसे बढ़कर

सबका साथ, सभीसे तेरा एक अनकहा रिश्ता।


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