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लक्ष्य-तुझे कुचलने की

लक्ष्य-तुझे कुचलने की

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मैं तुझे रोक नहीं पाई

चाहते हुए भी

चिल्लाने से

हाथ-पैर मारने से

हाथ जोड़ विनती

करने पर भी

कोई नहीं सुने

बस-मकसद तुझे

हटाने की।।


क्या- तू सिर्फ दो

जिस्म के मिलन से

बिना चाहत से

बगैर अरमानों की

दो दिलों के सहमत बिना

लाने की उम्मीद बगैर

आ सकती है किसी की

कोख में इस धरती को

छूने के लिए।।


सब जानते हुए भी

तुझे यूँ साफ कर दिये

ऐसे- जैसे नल से

पानी की धारा

इज़्ज़त और शोहरत

के नाम पर

खुद को ऊँचा करने के

जुनून में

पेट के अंदर गिरा दिए

मेरे सब अरमानों को

कुचल कर ।।



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