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Leena Kheria

Tragedy

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Leena Kheria

Tragedy

स्वर्णिम दौर..

स्वर्णिम दौर..

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स्मरण तो है ये हम सभी को 

कि वो एक स्वर्णिम दौर था

जब चाहे गॉंव हो या शहर हो 

हर घर में संयुक्त परिवार था


जब आता कोई पर्व त्योहार 

तो सब उत्साहित हो जाते थे

सम्पूर्ण हर्षोल्लास के साथ सब

मिलजुल कर साथ मनाते थे


चाहे हो गम की बदरी या

फिर सुख की बरसात हो

आसॉं हो जाता था सब कुछ

जब अपनों का साथ हो


हर परिस्थति में एक दूजे का

सब हरदम साथ निभाते थे

इम्तीहान की घड़ी में इक दूजे का

वो संबल बन जाते थे


खो गये संयुक्त परिवार 

अब बदल गया परिवेश

भाई को ही अपने भाई से 

अब होने लगा है द्वेष


काश कि हो जाये फिर से

सब में आपस में भाई चारा

एक और एक मिल कर के

वो हो जायें फिर से ग्यारह।


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