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Sanjay Verma

Tragedy

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Sanjay Verma

Tragedy

बूढ़ा बैल

बूढ़ा बैल

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ये सोचकर

बैल ख़रीदे

किसान ने

अपनी पहली

फसल बेचकर

घर को एक बारिश

और खाने दे

बाद में ठीक करायेंगे


बैलो के खूरों में

नाल लगवाने का

दर्द मगर खुद के सीने में

दबा जाते हैं

हर साल फसलों का

जोड़ बाकी करके

फसलो पर दंभ भरते


वे फसलें जिनका

खाद, दवाई, बीज

पहले उधारी का

निवाला बन चुकी

पानी ने अतिवृष्टि में

फसले कमजोर कर

फसलों के लाभ के आँकड़े

बदल डाले ऋणों में

ये बातें भला बैल क्या जाने ?


कर्ज में डूबा किसान

बैलो को ही सुख -दुःख का

सहारा समझता

उनसे ही बातें करता

अपने दुःख दर्दो को

बीमार होने पर

छकड़ा गाड़ी में

बैलो जोतकर


इलाज करवाने चला जाता है

शहर

बैलगाड़ी की लचरता

उसके पहिये के

टूट जाने से होती

बेबस

इसमें भला बैल का क्या दोष ?

उसे ऐसा लगता

आ बैल मुझे मार वाली

कहावत जैसे हो गई हो


बैल ही को

किसान मारता ,समझाता

इसी ने मेरी गाड़ी तोड़ी

घर जाने पर गुस्सा

छोड़ आता रास्ते पर

दुलारता है फिर से

बैलो को


बैल बूढ़ा होने तक

अपने मालिक की सेवा

करता है

क्योंकि अंत में उसे

किसान के घर ही

मरना है

क्योंकि बूढ़ा बैल कहीं बिकता नहीं

इसमें भला किसान का क्या दोष ?


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