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Sanjay Verma

Inspirational

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Sanjay Verma

Inspirational

सूरज

सूरज

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सुबह के सूरज से

आँख मिला कर की बातें

दोपहर के सूरज से

नहीं कर सकते बातें 

तुमने उसे सर चढ़ा रखा

अभिमानी इंसान

दिया भी दिखा नहीं सकते

क्योकिं सूरज ने कर रखा

उनकी परछाई का कद छोटा

हर रोज की तरह

होती विदाई सूरज की

सूर्यास्त होता ये भ्रम

पाले हुए वर्षो से

पृथ्वी के झूले में

ऋतु चक्र का आनन्द लिए

घूमते जा रहे

सूर्योदय -सूर्यास्त की राह

मृगतृष्णा में

सूरज तो आज भी सूरज

जो चला रहा ब्रह्माण्ड 

सूरज से ही जग जीवित

पंचतत्व अधूरा

अर्थ-महत्व ग्रहण का सब जानते

हे सूरज

तुम कभी विलुप्त न होना.




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