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Sanjay Verma

Romance

3  

Sanjay Verma

Romance

प्रेम की महक

प्रेम की महक

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जिंदगी तेरे प्यार में उम्र गुज़ार दी

भटकता रहा जवानी में तेरे दर पे,

वसंत के आने की गंध एक पैगाम लाई

प्रेम की ज्योत को फिर जगा लाई,  

महकते वसंत की आगमन की खुशबू 

महकते फूलों के संग ये पैगाम लाई,

प्रेम और प्रकृति निखरते इन मौसमों में 

जिंदगी को पनाह दी इन क़ुदरतों ने,

प्यार की बगिया में कुछ खिले थे फूल 

खुश्बुओं को बचाकर रखा बस तुम्हारे लिए, 

मर भी जाऊँ तो याद रखना जरूर 

महकाती रहेगी मेरे प्रेम के आँगन को।



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