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Shyam Kunvar Bharti

Tragedy

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Shyam Kunvar Bharti

Tragedy

दिल्ली दम घोंटने वाली

दिल्ली दम घोंटने वाली

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दिल्ली दिलवालों नहीं दम घोंटने वाली है

जहरीली हवाओ बिच छटपटाने वाली है

दिल्ली चलो कुच करो शोर होता बहुत था

जनता अब जल्दी दिल्ली छोड़नेवाली है।


मॉर्निंग वाक इवनिंग वाक सब भूल गए

सबके साँसो जाली काली लगनेवाली है

सड़को मकानो मिलो ने लाखो पेड़ काटे है

ठंडी छाँव हवा नहीं तपती धूप जलने वाली है।

बागों बहारों यारों दिलदारों दिल्ली रही नहीं

बाहर ही नहीं अंदर भी धुंध फैलने वाली है

गलियो चौबारों चौपाल लगती नहीं अब

जनता मुंह छिपा अब घर भागनेवाली है।

सरकारों के सब वादे नारे धरे रह गए

फैलता धुआँ चारों ओर आग लगने वाली है

दिल्ली नहीं पंजाब हरियाणा यू पी की बारी है

बिहार बंगाल झारखंड आफत मचनेवाली है।

खूब काटो पेड़ लगाओ आग तमाशा देखो

फेफड़े भर काला धुआ नाक फटने वाली है

आरोप प्रत्यारोप का दौर खूब चल रहा है

कोई कुछ करता नहीं जान निकलने वाली है।


सब अपनी फिराक पड़े जिद अपनी अड़े हैं

विज्ञान समान सब धरा दिल्ली हिलने वाली है

पार्कों में रोमांस नहीं स्कूलों बच्चों डांस नहीं

सोचो अब तो हुक्मरानों दिल्ली दहलाने वाली है।  


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