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Shivam Antapuriya

Tragedy

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Shivam Antapuriya

Tragedy

समस्याओं ने घेरा

समस्याओं ने घेरा

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समस्याओं ने मुझे 

इस भाँति घेरा 

रात सा दिन हो गया 

शाम सा लगने 

लगा सवेरा 


न डरा और न रुका 

मैं चल दिया हूँ 

उससे लड़ने अकेला

थामा जो साहस का दामन 

तो बढ़ गया 

हौसला फिर मेरा 


कील कंकड़ पत्थरों ने

रोकना चाहा मुझे 

रूक सका न मैं कहीं 


मैं डरा अंधकारों से नहीं 

हो गया है कारगर

जब सारी दुनिया से 

हूँ जंग मैं लड़ा अकेला


साथ हैं अब भी मेरे 

समस्याएँ जैसे 

मानों उन्होंने ही 

हो पाला मुझे

 

लगकर गले चल

रही हैं ऐसे 

मानों अपना ही 

घर समझा है मुझे।


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