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Shivam Antapuriya

Tragedy Others

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Shivam Antapuriya

Tragedy Others

"आपदाओं का सैलाब"

"आपदाओं का सैलाब"

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किसानों की कथित पीड़ा सुनाने 

आज आया हूँ 

बने जो जख्म से नासूर दिखाने उनको आया हूँ 


बड़ा बेदर्द है शासन, सुनना कुछ भी नहीं चाहता 

केवल अपनी ही बातें सुनाना उसको है आता

 

कहीं भाषण, कहीं नारे, कहीं पर रैलियाँ देखीं 

सूखी कृषकों के घर की नहीं हैं रोटियाँ देखीं 


किसानों की यही पीड़ा मेरे आँसू बहाती हैं 

बहुत देखा है आँखों ने, नहीं अब देख पातीं हैं 


कभी ओले, कभी बारिश, कभी तूफ़ान आता है 

बेमौसमी आपदाओं का यही सैलाब आता है 


किसानों का मुखर चेहरा बड़ा मायूस रहता है 

नेताओं का दिया, भाषण जब भाषण ही रहता है 



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