ज़िम्मा उठाना था जिन्हें, उनकी जनाज़ों पर निकली रैलियाँ। ज़िम्मा उठाना था जिन्हें, उनकी जनाज़ों पर निकली रैलियाँ।
बड़ा बेदर्द है शासन, सुनना कुछ भी नहीं चाहता केवल अपनी ही बातें सुनाना उसको है आता बड़ा बेदर्द है शासन, सुनना कुछ भी नहीं चाहता केवल अपनी ही बातें सुनाना उसको ...