लगकर गले चल रही हैं ऐसे मानों अपना ही घर समझा है मुझे। लगकर गले चल रही हैं ऐसे मानों अपना ही घर समझा है मुझे।
कभी पहुँच जाता है कोई अंजाम तक तो किसी को रास्ता ही नहीं मिलता। कभी पहुँच जाता है कोई अंजाम तक तो किसी को रास्ता ही नहीं मिलता।
मैं देख रहा हूँ, प्रकाशपुंज के उस निस्तब्ध ढलान को... जो कल एक नवयुग ले उदित होने को तैयार है। मैं देख रहा हूँ, प्रकाशपुंज के उस निस्तब्ध ढलान को... जो कल एक नवयुग ले उदित ह...
जीवन की इस धूप छांव में तुम हर क्षण में मुस्काना जीवन की इस धूप छांव में तुम हर क्षण में मुस्काना
कुछ और शै नहीं ये गुलो-गुल कुछ और शै नहीं ये गुलो-गुल
बहुत नाज़ुक इसकी साख होती है दोस्ती एक सुखद एहसास होती है। बहुत नाज़ुक इसकी साख होती है दोस्ती एक सुखद एहसास होती है।