तुम बहार
तुम बहार
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तुम बहार का मौसम
मैं पतझर हूँ जाना
मैं जिस साख से टूटूँ
तुम उस पर खिल आना
मेरा जाना तो तय है
पर तुम आते रहना
मंद पवन के झोंकों में
तुम सदा महकते रहना
मेरा प्राण बसा तुममें है
मुझको ख़ुद में ही पाना
जीवन की इस धूप छांव में
तुम हर क्षण में मुस्काना।