पत्र जो लिखा
पत्र जो लिखा


आज भी वो ख़त
मेरी डायरी में पड़ा है
जिसमे मैंने पहली बार
पूछे थे तुमसे
ढेरों सवाल।
मैंने पूछा था
कि सीधी सी ज़िन्दगी है
तुम इतने टेढ़े क्यों हो ?
क्यों सब कुछ करना चाहते हो
लीक से हट कर ?
क्यों चाहते हो
कि तुम निशान बनाओ
और दुनिया उस पर चले ?
क्यों मैं वैसी नहीं रह सकती
तुम्हारे साथ....
जैसी मैं हूँ ?
क्यों मैं भूल जाऊं
संस्कृति और संस्कार ?
क्यों मैं बदल डालूं
खुद को ?
औरत हूँ
क्या इसीलिए ?
बीच राह छोड़ गए
क्यों बिना कुछ कहे ?
और भी न जाने
क्या क्या पूछा था
उस पत्र में....
जो मैंने लिखा तो था
मगर भेजा नहीं।