"काश तुम ने"
"काश तुम ने"
बरसों बाद
आज तुम्हारा ख़त
फ़िर से सामने आ गया है
पढ़ना चाहूँ तो भी
कैसे पढूं
धुल जाएंगे अक्षर-अक्षर
वही जो तुमने लिखे थे
कि तुम कितने कायर थे
नहीं थी तुममें हिम्मत
सामना करने की
अपने हालात का
और फ़िर कभी
देखा भी नहीं
पलट कर
काश !
पल भर को
देखा होता
मेरी ओर
एक तुम थे
तो एक मैं भी तो थी
मिल जाते अगर
हो न जाते
एक और एक ग्यारह।
