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नीलम पारीक

Tragedy

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नीलम पारीक

Tragedy

"काश तुम ने"

"काश तुम ने"

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बरसों बाद

आज तुम्हारा ख़त

फ़िर से सामने आ गया है

पढ़ना चाहूँ तो भी

कैसे पढूं

धुल जाएंगे अक्षर-अक्षर

वही जो तुमने लिखे थे


कि तुम कितने कायर थे

नहीं थी तुममें हिम्मत

सामना करने की

अपने हालात का

और फ़िर कभी

देखा भी नहीं

पलट कर


काश !

पल भर को

देखा होता 

मेरी ओर

एक तुम थे

तो एक मैं भी तो थी

मिल जाते अगर

हो न जाते

एक और एक ग्यारह।


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