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नीलम पारीक

Fantasy

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नीलम पारीक

Fantasy

"कल्पना" (fantacy)

"कल्पना" (fantacy)

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दो समय का भोजन,

जिसमें हो शामिल...

रोटी, एक सब्जी,

थोड़ा अचार,

ज़रा सा दही

या कटोरी भर छाछ,

बस यही है कल्पना

उसके लिये


उसके लिये...

जो रूठ कर

ज़रा सी बात पर

छोड़ आया था गांव,

माता-पिता

और अपने भूरे को

जिसे दे दिया करता था

धपाऊ रोटी


जब कुछ पल को

हारी-थकी 

सो जाया करती थी माँ,

सिलते-सिलते

गांव भर के कपड़े...


और छोड़ आया है

दीनू को, झुमरू को

जिनके लिये

ले जाता था रोज़

कभी बिस्किट का पैकेट

तो कभी भुजिया की थैली

मांगकर पिता से जेबखर्च...


उस खून-पसीने की कमाई के

जो करता था पिता

करके लोगों के खेतों में

दिन भर काम


और अब सिर्फ 

दो समय का भोजन,

जिसमें हो शामिल

रोटी, एक सब्जी,

थोड़ा अचार,

ज़रा सा दही

या कटोरी भर छाछ,

बस यही है कल्पना

उसके लिये...


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