STORYMIRROR

Manjul Singh

Fantasy Others

4  

Manjul Singh

Fantasy Others

काली औरतें

काली औरतें

1 min
244

काली औरतें 

जब बात करती है 

तो आसमान भी 

काला हो जाता है

बहुत तेज चमकने 

वाला सूरज छोटे छोटे 

टुकड़ों में टूट कर 

बिखर जाता है!


काली औरतें 

सोचती है नये नये 

मनसूबे और काट 

देती है अपने ही 

तर्कों से!


काली औरतें

बाते करती है 

अपने गोरे प्रेमियों 

की जो च-रस की 

जगह श्रृंगार रस का 

सेवन उचित समझते है!


काली औरतें

के लिए आभूषण 

कोई सुन्दरता नहीं 

वो मन और तन 

का संवाद है!


काली औरतें 

लगाती है काजल, नाख़ूनी 

और महावर 

अपने गोरे प्रेमियों के 

पसंद की क्योंकि?

काली औरतों

की मांसल भुजाएँ

और सुडौल पिंडलियाँ 

खूब भाती हैं उनके 

गोरे प्रेमियों को!


काली औरतें

झुकाये नज़रें 

लेट जाती है

समर्पण में अपने 

गोरे प्रेमियों के लिए 

वो लिपटकर 

काली औरतों

के सपाट पेट पर 

बने गहरे कुएँ से 

पानी पी लेता है!

और क्यों कहता है 

निर्दयी नरनाशी

काली औरतें?



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy