कभी तो मिलोगी
कभी तो मिलोगी
कभी तो मिलोगी
हाँ कभी तो मिलोगी
किसी दिन
किसी सीधे मोड़ पर
या मिलोगी कभी
किसी पुराने रास्ते पर
जहां हजारों कि भीड़ में भी
तुम्हें देख पाऊँगा मैं,
पर कभी तो मिलोगी तुम
जाओगी कहाँ
रहेगा यहाँ सब
जस का तस,
पर तुम मिलना जरूर
हम भीगेंगे सावन कि
पहली बारिश में
फिर साथ इंतजार करेंगे
सर्दी कि पहली बर्फ का,
पर तुम मिलना जरूर
तुम मिलना मुझे समंदर
कि सरसराहट में
या मिलना कड़कती बिजली
गिरती किसी रात में
में देख पाऊँगा तुम्हें
हर दशा में भी,
पर तू मिलना जरूर
पर मिलना नहीं किसी
कोहरे कि तरहा
जो तुझे देखूं तो
खोना नहीं तुम
जाना नहीं तुम
में इंतजार करूँगा तुम्हारा
हर मोड़ हर गली हर रास्ते
हर गुजरती उम्र में...