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Sandeep Panwar

Abstract

3  

Sandeep Panwar

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प्यार ए जख्म

प्यार ए जख्म

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राह ए जिंदगी में 

जान ए जहां तुम 

प्यार ए जख्म दे जाती हो 

जब भी बात आती है 

इक हँसी की 


बड़े प्यार से प्यार ए हँसी में

हजार ए जख्म दे जाती हो

राह ए जिंदगी में 

जान ए जहां तुम 

प्यार ए जख्म दे जाती हो,


चलते हो साथ मेरे 

पर कही एक मोड़ पर 

सर्दी की सुबह जैसे 

धुंध बन कही उड़ जाती हो

राह ए जिंदगी में 

जान ए जहां तुम 

प्यार ए जख्म दे जाती हो,


उम्र के खेल में 

प्यार ए सौगात दे जाती हो 

मालूम नही ये दिल है 

य खिलोना मेरे हम नावां का 

प्यार ए खेल में खेल के 

जिंदगी ए खेल सीखा जाती हो


बड़े जुल्मी हो तुम 

राह ए जिंदगी में 

जान ए जहां तुम 

प्यार ए जख्म दे जाती हो।


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