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Sandeep Panwar

Inspirational

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Sandeep Panwar

Inspirational

दस्ता-ऐ-बयां अंदरून-ऐ-हिन्द

दस्ता-ऐ-बयां अंदरून-ऐ-हिन्द

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ये लहर है या सैलाब है

हर दिल में अब एक आग है,×2

ये बीज है जो उग गया 

एक सोच बन कर थम गया,


ये दौर है या है सदी

ये वक्त भी रुकता नहीं,

यहाँ शोर है 

ये लाल है ×2

ये लहर है या सैलाब है,


यहाँ रास्तों के नाम नहीं 

बस शख़्सियत के नाम है,×2

उस शख्स की शख़्सियत नहीं

जिसके नाम में इंतकाम है,


अब कोई ख्वाहिश नहीं 

बस है यहाँ नफरत बची,×2

अब है यहाँ सब ही वही  

जिन्हें वतन की चिंता नहीं,


मेरे देश की शांति को भंग करके

उड़ते परों के ख्वाब को अब्तर करके

राक्षस की तरह भीड़ में यूँ मुस्कुराना×2 

हम जानते हैं तुम हो वहीं 

ये खौफ अब थमता नहीं,


तुम हो वही जो हो अभी

तुम्हारे जिस्म पर भी इक खाल है×2

वो खाल है जो अजनबी अश्क़िया 

दिल की पहचान है,,


एक आस थी हमारी पहचान थी

जो दीये जलते थे कभी 

एक रोशनी की चाह में 

जिन्हें अंधेरे की परवाह नहीं

बस मुस्कुराते थे राह में,


ये देश नहीं,

है घर मेरा ×2

जहाँ मुकम्मल हो 

हर कल मेरा 

अब शदीद सी एक प्यास है

सब एक हो मेरी आस है,×2


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