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Sandeep Panwar

Inspirational

5.0  

Sandeep Panwar

Inspirational

अंदरून-ऐ-हिन्दोस्तान

अंदरून-ऐ-हिन्दोस्तान

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ये लहर है या सैलाब है

हर दिल मे अब एक आग है ×2

ये बीज है जो उग गया 

एक सोच बन कर थम गया,


ये दौर है या है सदी

ये वक्त भी रुकता नहीं,

यहाँ शोर है 

ये लाल है ×2

ये लहर है या सैलाब है,


यहाँ रास्तों के नाम नहीं

बस शख्सियत के नाम है ×2

उस शख्स की शख्सियत नहीं

जिसके नाम में इंतकाम है,


अब कोई ख़्वाहिश नहीं

बस है यहाँ नफरत बची ×2

अब है यहाँ सब ही वही  

जिन्हें वतन की चिंता नहीं,


मेरे देश की शांति को भंग करके

उड़ते परों के ख़्वाब को

अब्तर करके

राक्षस की तरह भीड़ में यू मुस्कुराना ×2 

हम जानते हैं तुम हो वहीं 

ये खौफ़ अब थमता नहीं,


तुम हो वही जो हो अभी

तुम्हारे जिस्म पर भी इक खाल है ×2

वो खाल है जो अजनबी अश्क़िया 

दिल की पहचान है,


एक आस थी हमारी पहचान थी

जो दीये जलते थे कभी 

एक रोशनी की चाह में 

जिन्हें अंधेरे की परवाह नही

बस मुस्कुराते थे राह में,


ये देश नही,

है घर मेरा ×2

जहाँ मुकम्मल हो 

हर कल मेरा 

अब शदीद सी एक प्यास है

सब एक हो मेरी आस है...×2


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