STORYMIRROR

Amrita Tanmay

Abstract Fantasy Inspirational

4  

Amrita Tanmay

Abstract Fantasy Inspirational

चाहत

चाहत

1 min
295

कुछ अलग की चाहत होती तो

बस जाती किसी दूसरे ग्रह पर

जहाँ जीवन असंभव है और

रह लेती हवा पानी भोजन के बिना 

साबित करती अपनी अलग पहचान 

रोज सुबह घंटे भर के लिए 

यहाँ टहलने को आती

दो चार चक्कर लगाकर फिर 

लौट जाती अपने ठिकाने 


कुछ अलग की चाहत होती तो 

बन जाती दंतकथाओं की पात्र

आवश्यकता और इच्छानुसार 

रूप बदल सबों को करती अचंभित 

या फिर जादू की छड़ी लिए 

करती रहती चमत्कार पर चमत्कार 

क्रीड़ा कौतुक हेतु अपने श्राप से 

लोगों को बना देती तोता मेमना 


मेरी उँगलियों पर ही नाचते सभी 

कुछ अलग की चाहत होती तो 

किसी क्लिष्ट या अस्पष्ट लिपि को 

अभिव्यक्ति का माध्यम बनाती

और बन जाती मैं रहस्यमयी 

पर मैं तो वही हूँ जो सब में है 

वही  कहती हूँ जो सबका हृदय कहता है 

हाँ मैं एक पुकार हूँ चेतना की 

अस्तित्व की आवाज हूँ मैं 

मैं गूंजती रहूंगी सभ्यता के बाद भी...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract