अनुभूति
अनुभूति
विश्वास की लाल कालीन पर
निराशाओं के बिखेरे फूलों पर
आशाओं को आँखों में भरे हुए
चलते जाना नियति है या मज़बूरी
कि एक दिन मानवता की
खुबसूरत कल्पनाएँ सच हो जाएँगी
जिस प्यार दोस्ती की बातें
अमन चैन की बातें
शांति सुकून की बातें
हरियाली खुशहाली की बातें
समानता स्वतंत्रता की बातें
वाद -विवाद करने योग्य
मुद्दा नहीं रह जायेंगे
इन मुद्दों का हो जायेगा
उन्नमूलन इनके जड़ों से
फिर तो हमारी कल्पनाएँ
केवल एक ही रहेंगी
कि धरती की इस सुन्दरता को
और कैसे निखारा जाये
और हमारे पास केवल
एक ही भाव बचेंगे
अनुभूति केवल आनंद की
अनुभूति.... अनुभूति
और धरती सही मायने में
स्वर्ग हो जाएगी!