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नियति और परिणति के बीच अपने होने का औचित्य। नियति और परिणति के बीच अपने होने का औचित्य।
कुछ-कुछ कहने के बीच वो सब कुछ कहने का कोई अर्थ ही न रह जाए। कुछ-कुछ कहने के बीच वो सब कुछ कहने का कोई अर्थ ही न रह जाए।
कल्पनाओं से देती हूँ उष्णता अनंत इच्छाएं बन बरसती हूँ कल्पनाओं से देती हूँ उष्णता अनंत इच्छाएं बन बरसती हूँ
अनुभूति.... अनुभूति और धरती सही मायने में स्वर्ग हो जाएगी! अनुभूति.... अनुभूति और धरती सही मायने में स्वर्ग हो जाएगी!
क्रीड़ा कौतुक हेतु अपने श्राप से लोगों को बना देती तोता मेमना क्रीड़ा कौतुक हेतु अपने श्राप से लोगों को बना देती तोता मेमना
मैं अनुभव कर सकती हूँ तुम्हारी विराटता का मैं अनुभव कर सकती हूँ तुम्हारी विराटता का
बहुतों का कलम उठ जाये पक्ष -विपक्ष में लिखने को बहुतों का कलम उठ जाये पक्ष -विपक्ष में लिखने को