अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं
एक समोसे के पीछे, मैं उसका साधन था। एक समोसे के पीछे, मैं उसका साधन था।
तुझसे ही धन्य हुआ है मम जीवन, दो आशीष निज वरदहस्त उठाकर। तुझसे ही धन्य हुआ है मम जीवन, दो आशीष निज वरदहस्त उठाकर।
अवांछित अवयवों की छंटनी कर करती है सबका उद्धार। अवांछित अवयवों की छंटनी कर करती है सबका उद्धार।
युग के मानस चित्त का ये, सामरिक परिणाम था, महाभारत घटना नहीं थी, क्रिया कर्म प्रमाण युग के मानस चित्त का ये, सामरिक परिणाम था, महाभारत घटना नहीं थी, क्रिया...
लिख पा रहे हैं भिन्न विभिन्न भाषाओं के अभिन्न लिपि, कलम बिन समस्त व्यक्त अव्यक्त लिख पा रहे हैं भिन्न विभिन्न भाषाओं के अभिन्न लिपि, कलम बिन समस्त व्यक्त ...