STORYMIRROR

Dhan Pati Singh Kushwaha

Drama

3  

Dhan Pati Singh Kushwaha

Drama

मां से विनती

मां से विनती

1 min
12.1K

मां तुमसे ही मेरा प्रभात है,

और तुमसे ही है मेरी शाम।

तेरे आशीष से बढ़कर न कुछ,

मेरे अधरों पर है तेरा ही नाम।


हरि इच्छा से तेरे माध्यम से,

हूं मां मैं इस जगत में आया।

चलना सीखा तेरी उंगली थाम,

इस जग हूं मैं तेरी ही तो छाया।


उपकृत हुआ मैं यह जीवन पाकर,

नमन तुझे है मां शीश झुकाकर।

तुझसे ही धन्य हुआ है मम जीवन,

दो आशीष निज वरद हस्त उठाकर।


सदा मेरे सुख की -की है कामना,

कोटि दुख सहे बड़े खुश होकर।

त्याग- तपस्या की मां मूर्ति तुम

उऋण कभी न तव ऋण से मां हम।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama