परिवार
परिवार
कुछ बड़े कुछ छोटे यहाँ, उम्र का उनकी ध्यान करो
हर शख़्स है यहाँ पर अपना, सबका खूब मान-सम्मान करो।।
अंजान, अजनबी, अज्ञानी छोटे है, मार्गदर्शन उनका बड़े करो
मिले नहीं हो कभी किसी से, उनसे यहाँ पहचान करो।।
कह सके न नहीं जानते, ऐसा कुछ तो काम करो
गौरव बढ़े हर मात-पिता का, सबसे ऐसी बात करो।।
जग है ये अपने लोगों का, एक-दूजे से बात करो
रह न जाए कोई पीछे बस, इस बात सदा ध्यान करो।।
अहं न हो बड़े-छोटे का, न पद का अभिमान करो
कमजोरों की मदद करो और, संग लेकर उसे आगे बढ़ो।।
मान मिलेगा, सम्मान मिलेगा, कुल गौरव में वृद्धि करो
सलाम करे सदा लोग तुम्हें, जो उनके हक का काम करो।।