जुगनुओं से उजागर रातें
जुगनुओं से उजागर रातें
जुगनुओं से उजागर रातें करते हैं
अपनी ही परछाई से बातें करते हैं..
कांटे चुन सभी अपनों में से फिर
फूलों से सारे रिश्ते-नाते करते हैं..
वो स्पर्श करके एहसासों के मोती
हाँ बहुमूल्य सभी सौगातें करते हैं..
बंजर सी देह रूपी धरा पर सजन
प्रेम की रिमझिम बरसातें करते हैं..
मार्ग से भटके हुए हैं जो ख़्यालात
रास्ते पर सबकी औक़ातें करते हैं..

