फूल
फूल
पल दो पल की जिन्दगी मेरी
फिर भी मैं मुस्काता हूँ
सुन्दर, प्यारा संदेश हूँ देता
अन्तर्मन को सबके जगाता हूँ।।
कारण बन जाऊँ किसी की खुशी का
ईश्वर से ये आशीष चाहता हूँ
मोह नहीं मुझे इस जीवन से
बस अधरों पर मुस्कान मैं लाता हूँ।।
तोड़ते, कुचलते लोग मुझे
दुःख-दर्द भी सब सह जाता हूँ
माला बनूँ या कूडी़ सडूँ मैं
पर दोष न किसी को देता हूँ।।