दुनिया है कैसी
दुनिया है कैसी
आज की दुनिया है कैसी किसको किसने जाना है।
दर्द देता है वही जिसे दिल ने अपना माना है।
झूठ का सारा दिखावा कपट का व्यवहार है।
नफरतों की आग में जल रहा संसार है।
इस जहां से जाऊं कहां मिलता नहीं ठिकाना है।
आज की दुनिया है कैसी किसको किसने जाना है।
घर में है दो चार लोग फिर भी ईर्ष्या बलवती।
वाह्य का सब ठीक है अंतः में घृणा पल रही।
भाई भाई लड़ रहा है लगता सब बेगाना है।
आज की दुनिया है कैसी किसको किसने जाना है।
ना करें भगवान ऐसा मां जुदा हो लाल से।
रखती है माता किस तरह हर दर्द से संभाल के।
मां से बढ़कर कुछ नहीं आज हमने माना है।
आज की दुनिया है कैसी किसको किसने जाना है।
दर्द देता है वही जिसे दिल ने अपना माना है।