Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

AKIB JAVED

Drama Others

3  

AKIB JAVED

Drama Others

कविता - गाँव में

कविता - गाँव में

1 min
310


बदलते परिवेश में

अटपटे 

भाव वेश में

गाँव की

बदल रही

हिस्ट्री,

जियोग्राफ़िया।

खलिहर बैठे

मनो मस्तिष्क

में शून्य लिए

खूब हो रहे

अपराध है।

सड़कों की

लम्बाई

चौड़ाई

बदल रहा

घर का 

परिमाप है।

गाँवों में

शहर 

का जन्म

हो रहा है!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama