Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

4  

Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

प्रकृति मांगे प्यार

प्रकृति मांगे प्यार

1 min
24.8K


एक दूजे के होते हैं पूरक ,

प्रकृति के सब ही सब अवयव 

एक दूजे के बिन हैं सदा अधूरे ,

अवयव ये सारे  सब ही के सब।


अस्तित्व एक का निर्भर होता है,

सदा ही दूजे पर है यह सार्वभौमिक सत्य विचार।

जीव-जंतु पेड़ -पौधों और जड़ चेतन को

है चाहिए अस्तित्व रक्षण में सतत् ही इक - दूजे का प्यार।


प्राकृतिक व्यवस्था तब तक सुव्यवस्थित,

जब तक है रहता है इन अवयवों में संतुलन।

अवयवों में असंतुलन घातक इनको ही,

ये भी हैं इक दूजे के आपस के तन और मन।


अतिशय लालच के वश में मानव ,

करता रहता है प्रकृति के संग खिलवाड़।

मैला कर डाला आंचल मां प्रकृति का

 करके सारे स्रोत प्रदूषित सारा सीना दीन्हा फाड़।


 शिशुपाल के सौ अपराध क्षमा किए माधव ने,

पर अगले पर ही कर दिया चक्र-सुदर्शन से संहार।

नर नादानियां जब लांघ जाती है सीमाएं,

तब क्रुद्ध प्रकृति अति संहारक रौद्र रूप लेती है धार।


बाढ़-अकाल-महामारी माध्यम हैं बनते,

और स्वयं प्रकृति रूप निज लेती है संवार।

क्षमादान का वरदहस्त क्षमतावान को ,

अवांछित अवयवों की छंटनी कर करती है सबका उद्धार।


Rate this content
Log in