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नीलम पारीक

Others

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नीलम पारीक

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"बचपन की ओर"

"बचपन की ओर"

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आ चलो लौट चलें फ़िर से

बचपन की ओर...


ढूंढ लाएं फिर एक बार

खिलौनों का वो दौर..


न कोई गिला, न ही शिकवा

न शिकायत किसी तौर...


खेल का, दौड़ का, हंसी का,

ठहाकों का हो ज़ोर...


कभी सिपाही तुम

कभी मैं कभी हम तुम बनें चोर...


कभी गलियों में, कभी छत पे

मस्ती का हो शोर...


न पढ़ाई की चिंता, न नौकरी की फिक्र

बस बेफिक्री चहुँओर...


आ चलो लौट चलें फ़िर से

बचपन की ओर..


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