मेरा परिवार
मेरा परिवार
मेरा परिवार
नित नए रँग, नए रूप में
ढलता रहता है
मेरा परिवार
कभी छोटा तो कभी बड़ा
जैसे हालात हो ढल जाता है
मेरा परिवार
कभी यहाँ तो कभी वहाँ
खानाबदोश सा
बसता उजड़ता रहता है
मेरा परिवार
कभी कोई जुड़ जाता है
तो कभी कोई बिछुड़ जाता है
लेकिन इन खुशियों में
इन उदासियों में
यूँ ही मुस्कुराता
तो कभी सम्भलता रहता है
मेरा परिवार
कोई सीमा नहीं है इसकी
कोई खास अपना नहीं
तो बेगाना तो कोई है ही नहीं
ऐसे एक कारवां में
नित चलता रहता है
मेरा परिवार
कोई बंधन नहीं
तो कहने भर को मुक्त भी नहीं
कभी कच्चे धागे से बंधा
तो कभी जंज़ीरों को भी तोड़ के
सबसे हिलमिल के
रुकता फ़िर रुखसत हो जाता है
मेरा परिवार
मेरे ख़याल, मेरे ख्वाब और मेरे जज़्बात
यही तो हैं मेरे अपने
हर पल मेरे साथ
यही हैं हम कदम मेरे यही मेरे हमदम
यही है मीत मेरे और यही तो है...
मेरा परिवार...
