मेरी जगह तूने दें दी किसी को.!
मेरी जगह तूने दें दी किसी को.!
मैं प्यासा औऱ समंदर थी तू,
मेहबूब मैं तेरा मोहब्बत कि मंदिर थी तू
एक पल भी रह ना पाती थी,
मेरे बिन,
एक दिन भी ऐसा था
छोड़ा हैं जबसे तूने दामन मेरा,
भुला हूँ तबसे हसीं को क्यूँ ?
मेरी जगह तूने दें दी किसी को !
नींद भी आती नहीं मुझको,
गैरों कि बाहों में देखा हैं जबसे तुझको
क्या ख़ता थी मेरी कुछ बताई भी नहीं तुमने,
औऱ साथ छोड़ दिया
मोहब्बत सिखाके मेरा हाथ छोड़ दिया,
महफ़िल में भी ख़ुद को तनहा पाता हूँ
ग़म ही लगता हैं हाथ मेरे तबसे,
जबसे छीन लिया हैं तुमने हर ख़ुशी को क्यूँ?
मेरी जगह तूने दें दी किसी को !