STORYMIRROR

Minakshi .

Abstract Romance Fantasy

4  

Minakshi .

Abstract Romance Fantasy

बारिश की वोह बूंदें

बारिश की वोह बूंदें

1 min
227

बारिश की पानी में नाचती हुई

अपने प्रेमिका का वर्णन एक प्रेमी ने कुछ इस तरह किया।

बरसात की वोह बूंदें जो अकसर तुमसे बाते किया करती थीं,

 साथ तुम होती थी मेरे पर आहें वोह भरा करती थीं,

 क़रीब मेरे होने से नजाने वो क्यों चिढ़ जाया करती थीं।

 जब भी मिलते थे हम तब वो और जोरो से बरस जाया करती थीं।

 तेरी पायलो की वोह खंखार,

 सफेद झुमको मे लिपटी मोतियों की चमकार,

 छम छम जब तेरी चूड़ियां बजती थीं,

 बिजली और जोरो से कड़कती थीं !


 ना जानें तुम्हे मेरे साथ देख वो इतना क्यों जलती थीं!

 ना जानें तुम्हे मेरे साथ देख वो इतना क्यों जलती थीं!

 तेरे झुल्फो से जब बूंदे टकराती थीं,

 लबों को छूकर तेरे बदन को भींगाती थीं,

 बरसात की वोह बूंदें जो तुमसे अकसर बाते किया करती थीं।


नज़रें झुक जाया करती थीं,

धड़कनों की गुफ्तगू बढ़ जाया करती थीं,

छन छन जब तेरी पायल गूंजती थीं,

बारिश भी साथ में झूम उठती थीं,

वो ध्वनि आज भी गूंजती है कानों में मेरे,

जब तुम मेरे नाम के पहले अक्षर से मुझे बुलाया करती थीं,

बरसात की वो बूंदें जो तुमसे अकसर बातें किया करती थीं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract