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Kunda Shamkuwar

Romance

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Kunda Shamkuwar

Romance

प्रेम की आहट

प्रेम की आहट

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प्रेम की आहट.....

जैसे रात में दुब घास की नोक पर खामोशी से ओस गिरती है.....

जैसे बागीचों में मँडराता है भँवरा फूलों पर....  

जैसे तपती धरती पर पड़ती है बारिश की बूँदें... 

कोई कह रहा था कि औरत नज़रों से गिर जाए तो....

फिर वह प्रेम प्रेम नहीं रहता...

क्या वह कहना चाह रहा था प्रेम तन से नहीं मन से होता है?

इस सवाल का जवाब कोई कैसे दे?

यह तो फिलॉसॉफी वाली बात हुई है.. 

शरीर या रूह में बड़ा कौन?

चलो,मान लेते हैं कि प्रेम सवालों के परे होता है....

कभी निगाहों में ही प्रेम होता है...

कभी इंतज़ार में भी प्रेम होता है...

कवियों की नज़र में प्रेम इंद्रधनुष की मानिंद होता है....

कवी कभी ब्लैक एंड वाइट में सोचते है भला?

लेकिन प्रेम तो प्रेम होता है... 

अनेक रूपों वाला प्रेम... 

अनेक रंगों वाला प्रेम... 

'तुम मेरी नहीं होगी तो किसी और की भी नहीं हो सकती' वाला प्रेम ... 

या 'तेरी गली में ना रखेंगे कदम आज के बाद' वाला प्रेम...

कहते है एवरीथिंग इज फेयर इन लव एंड वॉर..... 

सच ही तो कहते है वे....

छीना - झपटी.... 

नोच - खसोट... 

प्रेम पाना आसान है..... 

प्रेम अनेक रूपों में होता है....

प्रेम सारे बंधन से परे होता है....... 


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