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AKIB JAVED

Abstract Fantasy Others

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AKIB JAVED

Abstract Fantasy Others

रोको उनको सब आग है धुँआ हम थे

रोको उनको सब आग है धुँआ हम थे

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ज़िन्दगी में किसी पे मेहरबां हम थे

जहाँ में अब कहाँ हैं कल कहाँ हम थे।


अभी हालात से मजबूर हैं लेकिन

तुम्हारी जिंदगी की दास्ताँ हम थे।


तुम्हारी बदज़ुबानी चुभ रही लेकिन

ज़िन्दगी में सलीके की जुबां हम थे।


ये तख़्तों ताज हुकूमत कब तलक

वो सब भी वहाँ है जहाँ हम थे।


नफ़रतों की भीड़ में कहीं गुम हो गया

वो बढ़ते भाईचारे का गुमाँ हम थे।


कभी एक मरता है वो दूजा मारता है

रोको उनको सब आग है धुआँ हम थे



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