तू मिलना अब मुझसे तो
तू मिलना अब मुझसे तो
तू मिलना अब मुझसे तो
सब रस्में तोड़ के मिलना।
दुपट्टे,पल्लू में समेटी हुई
लाज शरम छोड़ के मिलना।
जो नहीं आती हैं मेरी ओर
वो गलियाँ मोड़ के मिलना।
मैं जला हुआ हूँ सूरज सा
तू चाँदनी ओढ़ के मिलना।
क्या नफा, क्या नुकसान है
सारे हिसाब जोड़ के मिलना।
जो न दिखाए तुझे, मुझ में
वो शीशा फोड़ के मिलना।
न हो कोई बंदिश, न कोई शिकन
दुनिया की बाँहें मरोड़ के मिलना।।

