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Salil Saroj

Fantasy

3  

Salil Saroj

Fantasy

जो चाहिए वो ही नहीं मिलती

जो चाहिए वो ही नहीं मिलती

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जो चाहिए वो ही नहीं मिलती

समन्दर से नदी नहीं मिलती


चाँदनी रात भी और संदली हवा भी

सर्दी में केवल रजाई नहीं मिलती


बदल गए चेहरे कितने काश्मीर के

कभी झेलम कभी राबी नहीं मिलती


सब छीन लिया कंप्यूटर मोबाइल ने

अब कलमों को स्याही नहीं मिलती


ग़म, धोखा, फरेब, तिजारत, रुसवाई

मोहब्बत में बस दवाई नहीं मिलती


गाँव घर छोड़ा, बीवी-बच्चे छोड़ दिए

पर इस शहर में कमाई नहीं मिलती



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