अब पीछे मुड़ कर मत देख
अब पीछे मुड़ कर मत देख


अब पीछे मुड़ कर मत देख,
मन तू मान ले, छूट गया यह घोंसला, यह जान ले,
इन साथियों का साथ,
अब सपना है,
सिमटी यादों का चलचित्र- यही बस अपना है,
पीछे कई किस्से,
हैं बेपरवाह हरकतें हज़ार,
सामने हूँ मैं, जब आया था यहाँ पहली बार,
काश एक बार फिर से,
पहली बार आऊँ,
या तुम्हें ही मेरे मन, मैं यह बात समझाऊँ,
कुछ मील होते ऐसे भी, जो कदमों से जीत जाते,
यादें राहों में छोड़, वे समय संग बीत जाते,
आह! पीछे मुड़ कर मत देख, मन तू मान ले,
छूट गया यह घोंसला, अब यह जान ले॥