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Salil Saroj

Abstract

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Salil Saroj

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खुदाई से मेरा कोई सरोकार नहीं है

खुदाई से मेरा कोई सरोकार नहीं है

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खुदाई से मेरा कोई सरोकार नहीं है,

मेरे घर में अभी कोई बीमार नहीं है।


जनता के पास सब कुछ तो है,

बस,एक छत और चार दीवार नहीं है।


कैसे मोहब्बत जवान होगी यहाँ पर,

मेरे शहर में कोई चार-मीनार नहीं है।


बच्चों को कैसे ले जाऊँ गाँव अपने,

वहाँ रात भर जागता बाज़ार नहीं है।


मैं ज़माने की नज़र में आऊँगा देर से,

मेरे हाथ में कलम है,हथियार नहीं है।


नौकरी मिलने से शुकून नहीं मिलता,

इन्सान क्यों इतना समझदार नहीं है!


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