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Salil Saroj

Abstract Tragedy Action

4.0  

Salil Saroj

Abstract Tragedy Action

इश्क़ ने ये कमाल किया

इश्क़ ने ये कमाल किया

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इश्क़ ने  ये कमाल किया

हमारा जीना मुहाल किया


जो घटाएँ बरसाया करती थी

हर मौसम मेरा अकाल किया


कुछ को पल में बर्बाद किया

पर हमें तो सालों-साल किया


जिस का जवाब था ही नहीं

बार - बार वही सवाल किया


ये तीरगी* की हद ही तो है

चिंगारी को भी मशाल किया


सारे रिश्ते नेस्तनाबूद किए

माजी* का भी न ख्याल किया


*तीरगी-अन्धकार

*माजी-अतीत



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